साधारण शब्दों में मर्चेंट नेवी का अर्थ है जहाजों से एक देश से दूसरे देश में व्यापार के लिए सामान ले जाना और लाना यह कार्य उतनी सरलता से नहीं किया जा सकता इसमें देश-विदेश के दूरदराज भागों में जहाजी बेड़े पर यात्रा करनी पड़ती है. जिस कारण व्यक्ति को कई दिनों तक अपने परिवार से दूर रहना पड़ता है. महीनों तक समुद्री यात्रा व बन्दरगाहों पर रहना पड़ता है. प्रतिकूल मौसम व परिस्थितियों में भी दिन रात कार्य करना पड़ सकता है. इन कष्टों के बावजूद यह क्षेत्र कैरियर के लिए एक शानदार क्षेत्र है. इस क्षेत्र में जहाँ एक ओर बहुत अच्छा वेतन मिलता है वहीं दूसरी ओर देश विदेश का भ्रमण, समुद्र की रोमांचकारी सैर, विभिन्न संस्कृतियों व सभ्यताओं का नजदीकी अवलोकन, प्रतिकूल परिस्थितियों में साहस व धैर्य की परीक्षा के साथ विभिन्न मनोवृत्तियों वाले सहयात्री या सहकमियों के परि- स्थितिजन्य विचार किसी साहित्यिक कृति से कम नहीं होते. मर्चेन्ट नेवी ही दे सकती है स्वर्ग-नरक, पृथ्वी, समुद्र, परियों का संसार, डाकुओं का खौफ, गुलिवर का अंजान संसार और शरीर व दिमाग की पुष्ठी. इन सब के साथ विदेशी मुद्रा वेतन. में विदेशी कम्पनियों में भारतीय ऑफीसरों की काफी माँग है. विदेशी कम्पनियों में नौकरी प्राप्त करके व्यक्ति अपनी मेहनत से अच्छी तनख्वाह प्राप्त करते हैं. शारीरिक रूप से फिट व्यक्ति जो चुनौतीपूर्ण कार्य करने में सक्षम हो उनके लिए यह एक बेहतर अवसर है.
इण्डियन नेवी में कई प्रकार के जहाज हैं. जैसे- कार्गो जहाज, टैंकर्स, बल्ककैरियर्स, रेफ्रिजरेटरशिप, यात्री जहाज, व्यापारिक बेड़ा आदि जहाज निजी एवं सार्वजनिक दोनों प्रकार के हैं.
मर्चेंट नेवी में कार्य करने के लिए अलग-अलग विभाग होते हैं जहाँ योग्यताओं के आधार पर व्यक्तियों का चयन किया जाता है.
डेक विभाग (Deck Department ) - इस विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी चीफमेट (कैप्टेन) होता है. इसके बाद फर्स्ट मेट, सेकण्ड मेट, थर्ड मेट आदि होते हैं. सेकण्ड मेट दोनों उच्चाधिकारियों का सहयोग करता है. इसके अलावा इस विभाग में जहाज चालक, हार्बर मास्टर आदि अन्य पद होते हैं.
इंजन विभाग (Engine Department) - इस विभाग का सबसे बड़ा अधिकारी चीफ इन्जीनियर होता है. इसके बाद इसका सहयोग करने के लिए तीन मुख्य इन्जीनियर व अन्य कर्मचारी होते हैं. इनमें अन्य पद रेडियो ऑफीसर, इलेक्ट्रीकल ऑफीसर आदि हैं.
भोजन विभाग (Catering) - इस विभाग का मुख्य स्टोर्स चीप या मुख्य रसोइया होता है. इसके सहयोग के लिए कुक मैसमैन आदि के अलावा नोटिकल सर्वेयर, लाइट कीपर्स, ड्रेस ड्राइवर्स और स्किन ड्राइवर्स आदि अन्य पद होते हैं.
उपर्युक्त विभागों के सभी पदों पर कार्य करने वाले कर्मचारियों के प्रशिक्षण की जिम्मेदारी भारत सरकार के भूतल परिवहन मंत्रालय की है. इसके अलावा कई निजी संस्थाएँ भी इनके लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित करती हैं.
नेविगेटिंग ऑफीसर (Navigating Officer ) - जहाज चालन, जहाजी बेड़े को लोड करवाना, उसकी देखभाल, यात्रियों व श्रमिकों की सुरक्षा आदि कार्य करने वाला यह अधिकारी ट्रेनिंगशिप (चाणक्य) से प्रशिक्षित ऑफीसर होता है. जो पदोन्नत होकर मर्चेंटशिप या मास्टर ऑफ-द-शिप के पद तक पहुँच सकता है.
मेरिन इन्जीनियर (Marine Engineer) - मेरिन इन्जी- नियर का मुख्य कार्य मशीन और इंजन की देखरेख करना है. यह मैरिन इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट से प्रशिक्षित होता है. जो प्रोन्नत होकर चीफ इंजीनियर के पद तक पहुँच सकता है.
चयन - रेडियो ऑफीसर, इलेक्ट्रिकल ऑफीसर, परसुअर्स तथा मेडीकल ऑफीसर आदि का चयन शिप अपनी आव श्यकता के अनुसार स्वयं करता है.
परसुअर्स, जोकि जहाज पर लेखा सम्बन्धी कार्य करते हैं उनके लिए बी. ए. या बी.कॉम. डिग्रीधारी योग्य माने जाते हैं. उन्हें सम्बन्धित मंत्रालय की परीक्षा पास करनी होती है.
इसके अलावा इलेक्ट्रिकल ऑफीसर के लिए प्रायः नेवी के रिटायर्ड ऑफीसर को प्राथमिकता दी जाती है. किसी भी विषय में स्नातक भी इसके लिए उपयुक्त माने जाते हैं. उन्हें भी सम्बन्धित मंत्रालय की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती है.
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